Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश जन्में ये योद्धा, इसकी आजादी के संघर्ष में रहे ये लोगों सबसे आगे

मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 16 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी....

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश जन्में ये योद्धा, इसकी आजादी के संघर्ष में रहे ये लोगों सबसे आगे

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 16 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पाँच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है।

खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य ने वर्ष 2010-11 के लिये राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीता था।

मध्यप्रदेश मुख्य रूप से अपने पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। मांडू, धार, महेश्वर मंडलेश्वर, चोली, भीमबैठका, पचमढी, खजुराहो, साँची स्तूप, ग्वालियर का किला, और उज्जैन रीवा जल प्रपात मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल के प्रमुख उदाहरण हैं। उज्जैन जिले में प्रत्येक 12 वर्षों में कुंभ (सिंहस्थ) मेले का पुण्यपर्व विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।

इतिहास (history)

स्वत्रंता पूर्व मध्य प्रदेश क्षेत्र अपने वर्तमान स्वरूप से काफी अलग था। तब यह 3-4 हिस्सों में बटा हुआ था।1950 में सर्वप्रथम मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ और मकराइ रियासतों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। तब इसकी राजधानी नागपुर में थी। इसके बाद 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश तथा भोपाल राज्यों को भी इसमें ही मिला दिया गया, जबकि दक्षिण के मराठी भाषी विदर्भ क्षेत्र को (राजधानी नागपुर समेत) बॉम्बे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया। पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी के रूप में चिन्हित किया जा रहा था, परन्तु अंतिम क्षणों में इस निर्णय को पलटकर भोपाल को राज्य की नवीन राजधानी घोषित कर दिया गया। जो कि सीहोर जिले की एक तहसील हुआ करता था। 1 नवंबर 2000 को एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ, और छ्त्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बन गया।

विवरण (description)

भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों ओर फैल रही है। यहाँ के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। यहाँ का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनन्द रस घोलकर स्मृति के रूप में चला जाता है। इस प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विन्ध्य-सतपुड़ा, मैकल-कैमूर की उपत्यिकाओं के अन्तर से गूँजते अनेक पौराणिक आख्यान और नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा, केन, धसान, तवा, ताप्ती, क्षिप्रा, काली सिंध आदि सर-सरिताओं के उद्गम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएँ यहाँ के जीवन को आप्लावित ही नहीं करतीं, बल्कि परितृप्त भी करती हैं।

संस्कृति संगम (Sanskriti Sangam)

मध्य प्रदेश में छह लोक संस्कृतियों का समावेशी विश्व है। ये छह सांस्कृतिक क्षेत्र हैं-

निमाड़
मालवा
बुन्देलखण्ड
बघेलखण्ड
महाकोशल
ग्वालियर (चंबल)
रीवा

निमाड़ (Nimar)

निमाड़ (Nimar) मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पश्चिमी अंचल में स्थित है। अगर इसके भौगोलिक सीमाओं पर एक दृष्टि डालें तो यह पता चला है कि निमाड़ के एक ओर विन्ध्य की उतुंग शैल श्रृंखला और दूसरी तरफ़ सतपुड़ा की सात उपत्यिकाएँ हैं, जबकि मध्य में है नर्मदा की अजस्त्र जलधारा। पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रूप में जाना जाने लगा।

मालवा (Malwa)

मालवा (Malwa) महाकवि कालिदास की धरती है। यहाँ की धरती हरी-भरी, धन-धान्य से भरपूर रही है। यहाँ के लोगों ने कभी भी अकाल को नहीं देखा। विन्ध्याचल के पठार पर प्रसरित मालवा की भूमि सस्य, श्यामल, सुन्दर और उर्वर तो है ही, यहाँ की धरती पश्चिम भारत की सबसे अधिक स्वर्णमयी और गौरवमयी भूमि रही है। 

बुंदेलखंड (Bundelkhand)

एक प्रचलित अवधारणा के अनुसार "वह क्षेत्र जो उत्तर में यमुना, दक्षिण में विंध्य प्लेटों की श्रेणियों, उत्तर-पश्चिम में चंबल और दक्षिण पूर्व में पन्ना, अजमगढ़ श्रेणियों से घिरा हुआ है, बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के चार जिले- जालौन, झाँसी, हमीरपुर और बाँदा तथा मध्यप्रेदश के पांच जिले- सागर, दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना के अलावा उत्तर-पश्चिम में चंबल नदी तक प्रसरित विस्तृत प्रदेश का नाम था।" कनिंघम ने "बुंदेलखंड के अधिकतम विस्तार के समय गंगा और यमुना का समस्त दक्षिणी प्रदेश (जो पश्चिम में बेतवा नदी से संलग्न है) पूर्व में चन्देरी, सागर के अशोक नगर जिलों सहित तुमैन का विंध्यवासिनी देवी के मन्दिर तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने के निकट बिल्हारी तक प्रसरित था" . 

बघेलखण्ड (Baghelkhand)

बघेलखण्ड (Baghelkhand) की धरती का सम्बन्ध अति प्राचीन भारतीय संस्कृति से रहा है। यह भू-भाग रामायणकाल में कोसल प्रान्त के अन्तर्गत था। महाभारत के काल में विराटनगर बघेलखण्ड की भूमि पर था, जो आजकल सोहागपुर के नाम से जाना जाता है। भगवान राम की वनगमन यात्रा इसी क्षेत्र से हुई थी। यहाँ के लोगों में शिव, शाक्त और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा विद्यमान है। यहाँ नाथपंथी योगियो का खासा प्रभाव है। कबीर पंथ का प्रभाव भी सर्वाधिक है। महात्मा कबीरदास के अनुयायी धर्मदास बाँदवगढ़ के निवासी थी।

महाकोशल (Mahakoshal)

जबलपुर संभाग का संपूर्ण हिस्सा महाकोशल कहलाता है। नर्मदा नदी किनारे बसा यह क्षेत्र सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धता में धनी है। यहां भेड़ाघाट जैसा विहंगम जल प्रपात है तो दूसरी ओर परमहंसी में ज्योतिष और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी का आश्रम है।

ग्वालियर (Gwalior)

मध्यप्रदेश का चंबल क्षेत्र भारत का वह मध्य भाग है, जहाँ भारतीय इतिहास की अनेक महत्वपूर्ण गतिविधियां घटित हुई हैं। इस क्षेत्र का सांस्कृतिक-आर्थिक केंद्र ग्वालियर शहर है। सांस्कृतिक रूप से भी यहाँ अनेक संस्कृतियों का आवागमन और संगम हुआ है। राजनीतिक घटनाओं का भी यह क्षेत्र हर समय केन्द्र रहा है। स्वतंत्रता से पहले यहां सिंधिया राजपरिवार का शासन रहा था। 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmibai) ने इसी भूमि पर लड़ा था। सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र ग्वालियर अंचल संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला अथवा लोकचित्र कला हो या फिर साहित्य, लोक साहित्य की कोई विधा हो, ग्वालियर अंचल में एक विशिष्ट संस्कृति के साथ नवजीवन पाती रही है। ग्वालियर क्षेत्र की यही सांस्कृतिक हलचल उसकी पहचान और प्रतिष्ठा बनाने में सक्षम रही है।

भूगोल (Geography)

जैसा की नाम से ही प्रतीत होता हैं यह भारत के बीचो-बीच, अक्षांश 21°6' उत्तरी अक्षांश से 26°30' उत्तरी अक्षांश देशांतर 74°9' पूर्वी देशांतर से 82°48' पूर्वी देशांतर में स्थित हैं। राज्य, नर्मदा नदी के चारो और फैला हुआ है, जोकि विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच पूरब से पश्चिम की और बहती हैं, जोकि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक सीमा का काम करती हैं।

राज्य, दक्षिण में महाराष्ट्र से, पश्चिम में गुजरात से घिरा हुआ है, जबकि इसके उत्तर-पश्चिम में राजस्थान, पूर्वोत्तर पर उत्तर प्रदेश और पूर्व में छत्तीसगढ़ स्थित हैं। मध्य प्रदेश में सबसे ऊँची चोटी, धूपगढ़(पंचमढ़ी) की है जिसकी ऊंचाई 1,350 मीटर (4,429 फुट) हैं।

भाषा (Language)

राज्य की आधिकारिक भाषा हिंदी और सिंधी है। इसके अलावा कई इलाको में संस्कृत, उर्दू और मराठी भाषियों की अच्छी खासी आबादी हैं। क्युकी ये क्षेत्र कभी मराठा राज्य के अन्तर्गत आते थे, बल्कि प्रदेश में महाराष्ट्र के बाहर मराठी लोगों की सबसे ज्यादा आबादी हैं। यहाँ कई क्षेत्रीय बोलिया भी बोली जाती हैं, जोकि कुछ लोगों के अनुसार हिन्दी ही से निकल कर बनी हुई हैं जबकि कुछ के अनुसार ये अलग या अन्य भाषा से संबंधित हैं। इन बोलियों के अलावा मालवा में मालवी, निमाड़ में निमाड़ी, बुंदेलखंड में बुंदेली, और बघेलखंड और दक्षिण पूर्व में बघेली (रीवा) बोली जाती हैं। इन में से हर एक बोली एक दूसरे से बहुत अलग है। यहाँ की अन्य भाषाओं में तेलुगू, भिलोड़ी (भीली), गोंडी, कोरकू, कळतो (नहली), और निहाली (नाहली) आदि शामिल हैं, जोकि आदिवासी समूहों द्वारा बोली जाती हैं।